मै भी हूं इंसान
रोता बिलखता बालक देखा,था बहुत परेशान,
पेट मे भूख थी उसके,बदन खुला राह चला वो अनजान!
घूम रहा था बेबस,करूणामयी नजरो की तलाश मे,
मुंह फेर कर चले जा रहे सभी,वो देख रहा सभी को एक रोटी की आस मे!
पैदा कर क्यू छोड दिया,क्यू नही दी मुझे कोई पहचान,
गांव-गांव शहर शहर भटक रहा,बेच अपना ईमान!
पहुंचा चौखट ईष्ट देव की,छोडा एक कटु बाण,
बोलो प्रभु गलती मेरी,मुझसे क्यू हो अनजान,
छूकर देखो मेरे प्रभु मुझे,मुझमे भी है जान!
क्योकि मै भी हूं इंसान, मै भी हूं इंसान,
कहकर प्रभु से ऐसा वो हो गया निष्प्राण!
मौसम बडा सुहाना है
मौसम बडा सुहाना है,हुआ दिल दीवाना है,
आ जा अब तो लग जा गले,ना सोच कहता क्या जमाना है!
मिलना फिर बिछड़ना,जीवन की रीत निराली है,
सब कुछ पा लो जीवन मे, पर जाना सबको खाली है!
ना सोच कि ये सिर्फ कहानी तेरी मेरी है,
सारे जग का एक यही अफसाना है!
तुझसे मिलना उसकी रहमतो का असर है,
तुझसे है प्यार कितना,तू इस बात से क्यू बेखबर है!
मिलकर साथ चलेंगे उस राह पर,सफर जो अनजाना है!
आ जा अब तो गले लग जा,ना सोच कहता क्या जमाना है!
क्यूंकि मौसम बडा सुहाना है!
भारत के वीर सपूत
हे भारत मां के वीर सपूतो,बलिदान तुम्हारा अतुल्य, साहस के आगे तुम्हारे हमने अपना शीश झुकाया,
बारंबार नमन है तुमको,भारत को आजाद करवाया,हमको आजादी का मतलब समझाया!
नमन है उन माताओ को जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिए लाल अपने न्यौछावर किए,
शीश श्रद्धा से झुकाऊं उन शूरवीरो को,जिनके खून के कतरे देश के लिए बहे,
भारत मां के उन वीर शूरवीरो ने,वीरता अपनी दिखाई है,
तब कही जाकर ब्रिटिश साम्राज्य से,आजादी हमने पाई है!
15 अगस्त एक तारीख नही,ये स्वर्णिम युग मे अंकित एक अविस्मरणीय पल है!
करो कल्पना उस अदभुत पल की,जब विदेशी झंडा उतारकर तिरंगा ध्वज अपना फहराया होगा,
हर हिन्दुस्तानी ने गर्व से भारत की मिट्टी को मस्तक पर सजाया होगा।