नंदिनी लहेजा
'दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे'.
नारा ये जिसके मुख से निकला था बार बार
धन्य था वो स्वतंत्रता वीर,जिनका नाम था चंद्रशेखर आज़ाद
23 जुलाई 1906, तिवारीजी के घर में इक बालक ने था जन्म लिया
बचपन से ही बुलंद थे हौसले,आँखों में आज़ादी का था स्वप्न बसा
बुद्धिमानी व् फुर्तीलेपन का संयोजन उनमे गजब का था
कांपता था ब्रिटिश साम्राज्य ऐसा उनका जलवा था
क्रांतिकारियों संग आज़ाद को जब घेरा अंग्रेजों अल्फ्रेड पार्क में ,
साथियों को बचाकर स्वयं भिड़ गए अकेले अंग्रेजो की टुकड़ी से
डट कर किया सामना शत्रु के हर वार का और उनको था छलनी किया
जब अंत में बची इक गोली बन्दूक में,खुद को जीवन से मुक्त किया
प्रण जो क्या था वीर आज़ाद ने,ना कभी बनूँगा अग्रेजों का बंदी
कर दिए प्राण न्योछावर,लिए नयनो में भारत की आज़ादी
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक