मैं
मैं कलमकार लिख देती हूँ
मन के सारे भाव कागज पर
मेरे शब्दों में सब रंगो की झलक होती हैं
वैसे ही जैसे आसमान में तारों की झलक होती हैं
अपने शब्दों से रंग भरती हूँ
और आकार तक का अहसास हो जाता है
शब्दो मे प्रेम लिखती हूँ
नीले आकाश की तस्वीर शब्दो से झलकाती हूँ
शब्दो से अल्हद सा सुर बिखेरती हूँ
आकाश में पहुंच चाँद तारो की बात लिखती हूँ
नीले नीले बादलों का प्यार लिखती हूँ
आओ मेरे साथ आज दुखद अहसास तुम्हे कराती हूँ
आओ आसमान में पहुंच चाँद से बात कराती हूँ
घुमड़ रहे बादलों की छवि निराली सी
आओ लेखनी से उसमें भी चारचांद लगातीं हूँ
अपने अहसासों की बात लिखती हूँ
तभी तो कहती हूँ कि मैं आसमान से बात करती हूँ
स्कूल वाले दिन
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
मेरे सारे दोस्त तो कमीने हुआ करते थे
फिर भी न जाने क्यों हम साथ जीया करते थे
हर राज को छिपाकर दफन किया करते थे
पर समय आने पर उसको भुनाया करते थे
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
हर सुख दुःख में, साथ साथ जिया करते थे।
रिज़ल्ट आने पर घर में छिपाया करते थे
क्लास में मार एक को न पड़े तो झूठ बोला करते थे
कभी एक दूसरे से रूठ भी जाया करते थे।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
ये बात आज बीती सी लगती हैं पर
आज भी दिल के करीब लगती हैं
जिनके बिना एक दिन भी गुजर नही थी कभी
जीवन की आपाधापी में उनके बिना बीत रही हैं
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
ये बात बस बीते समय की हो बेशक
आज भी छुप छुप के मिलवाना अपने अजीज से
और कमीनो का पूरा साथ होता था मिलाने में
तब अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
आओ आज मिले और बीती बाते याद करे
अपने जीवनसाथी के सामने सबका पर्दाफाश करे
आज एक बात फिर से मुस्कुराए मिलकर
क्या पता कल जिंदगी हो न हो।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
आओ कमीनो मिल बैठे मचाये धमाल
करे फिर से थकी सी जिंदगी में कमाल
ओर बनाये इस वक़्त को भी बेमिशाल
आओ मिल बैठे कमीनो मचाये धमाल।
वो स्कूल वाले दिन बहुत याद आते हैं।
कमीने दोस्तो तुम बहुत याद आते हैं।।
मुक़द्दर में मेरे मेरी बिटिया
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
उसकी यादों से मैं आज बोल उठी
उसकी हल्की सी आहट सुन मैं चहक उठी
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
ये कहती थी मेरी माँ..
तुझ से ही आलौकित मेरी दुनियां सारी कहती थी
रग-रग में मेरी मुक़द्दर मेरी बिटिया रहती कहती थी
नूर बन के महकती तू घर में चमकती कहती थी
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
ये कहती थी मेरी माँ..
फूल सरीकी खिल जाती हौले से मुस्कुराती बिटिया
मुस्कुराहटों के बीच सम्पूर्ण गमों को भूला जाती बिटिया
अपनी सुगंध को फैला मेरी दुनियां सारी बसाती बिटिया
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
ये कहती थी मेरी माँ..
दूर बहुत दूर रहने पर भी हर पल यादों में बसती थी
मेरे साथ तो तू हमसाया सा महसूस होती थी
तेरे अहसासो से मन खुश हो प्रीत सुगंध सी होती थी
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
ये कहती थी मेरी माँ..
दुनियां की सारी खुशियां मुझे मिले,बस ये कहती थी
उष्ण तपन न लगे दुःखो की,बस ऐसा वो कहती थी
जीवन भर खुशियां बसे मेर, बस बार बार वो कहती थी
मुक़द्दर में मेरे प्यारी सी बिटिया लिखी
ये कहती थी मेरी माँ..
गज़ब
हे प्रभु गज़ब तेरी माया
जोड़ो चाहे जितनी माया,
साथ नहीं देगी यह काया,
खत्म कहानी यही जो पाया।
हे प्रभु गजब जीवन का मेला
जीवन पथ चलो अकेला
चार दिनों का बस ये मेला
खेलो मिल दुनियां में खेला
हे प्रभु जीवन गज़ब का बाना
जीवन की गति बहता पानी
कर लो जो तुमने हैं ठानी
महल अट्टारी बस बहता पानी
हे प्रभु जीवन गज़ब के ये मेले
जीवन सुख दुःख के है झमेले
गुरु हो या फिर चेले
सब साथ समान सुख दुःख झेले।
हे प्रभु गजब क्या संग जाना
परोपकार बस करते जाना
सुंदर शरीर यही रह जाना
धूं धूं कर बस जल ही जाना।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद