डॉ. गोरधनसिंह सोढा 'जहरीला'
भूखा रहके भी तुझे न भूखा सुलाया मैंने ।
हर जिद पूरी की न तुझे रूलाया मैंने ।।
बस चांद तारे तोड़के न मैं ला सका ।
जो तूने मांगा वो हरसम्भव तुझे दिलाया मैंने ।।१।।
तुम सदा मेरी इन आंखों के तारे रहोगे ।
दुनिया के हर रिश्ते से तुम प्यारे रहोगे ।।
चाह यही तेरी राहों में मुसिबत न आए ।
जग में तेरी बस वाह वाह हो जाए ।।
पढा लिखाके तुझे यूं बहुत गुणवान बनाया मैंने ।।२।।
तमन्ना मेरी तू नाम मेरा रोशन कर दे ।
हर सख्स में ग्यान का बोध भर दे ।।
संकीर्णती और भेदभाव तू मिटा दे दिलों से ।
सौहार्द और प्रेमभाव तू जगा दे दिलों में ।।
यंकीं तू वही करेगा जो तुझे सिखाया मैंने ।।३।।
तू दूर रहना उन्माद और गलत आचरणों से ।
समझाना मेरी ही तरह सत्य कटु भाषणों से ।।
मिला न सके आंख दुश्मनों में भय हो ।
दशों दिशाओं में भारत माता की जय हो ।।
वही करना तू जो सभ्यता संस्कार सिखाया मैंने।।४।।
लहरना देना देश का परचम विश्व पटल पर ।
तेरे सामने बाधाएं आएगी तू रहना अटल पर ।।
शान्ति हमारा मंत्र है वक्त पर आजमाना तू ।
प्रलयंकार है न माने तो प्रलय मचाना तू ।।
'जहरीला'हो कर भी तुझे अमृतपान कराया मैंने।।५।।
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डॉ. गोरधनसिंह सोढा 'जहरीला'
बाड़मेर राजस्थान