मधु अरोड़ा
अपना बनाके श्याम ने ,
नहमें जग में रहना सिखा दिया ।
जैसकमल रहता है जल में ,
इस तरह तुम भी रहो ।
आए दुख सुख चाहे जितने ,
सब को सहना सिखा दिया।
जितने भी प्राणी है जगत के,
सबके अंदर मैं ही हूं ।
श्याम ने हमें जग में सबसे ,
प्रेम करना सिखा दिया।
काम कर दुनिया के सारे,
मन में मुझको याद कर।
फल की इच्छा ना कर कभी ,
यह हमें बतला दिया।
जो आया इस जगत में ,
एक दिन उसको जाना है।
आत्मा की अमरता का सार ,
हमको समझा दिया।
जो शरण आता है मेरी ,
मुझको अपना मान कर ।
मैं हूं उसका वह है मेरा ,
यह हमें बदला दिया ।
सच्चे मन से शांत मन से ,
आओ इन प्रभु की शरण ।
बातों ही बातों में जिसने ,
रूप अपना दिखला दिया।
क्या कहूं कैसे करूं,
प्रार्थना की लीला अपरंपार है
हम जीवो को तारने को ,
प्रार्थना स्वरूप बना दिया ।
हो भला सबका यह दिल में ,
धारणा हृदय में डाल ले।
मौन प्रार्थनाओं का सार,
सुंदर ढंग से प्रभु ने समझा दिया।
अपना बना के श्याम ने ,
जग में रहना सिखा दिया।।
बिगड़े काम बनेंगे सारे,
उसके ही नाम से।
काम करने से पहले ,
शुरू करो हरी नाम से।
अपना बनाकर श्याम ने ,
जग में रहना सीख दिया
दिल की कलम से