ऐ जिंदगी..

उषा शर्मा त्रिपाठी

अब टुकड़ों टुकड़ों में तुम मुझे मिलती हो ऐ जिंदगी, 

अब तार-तार तुम मेरी सांसों से गुजरती हो ऐ जिंदगी! 

रूह से तुझे पाने की चाहत और तुझसे मेरी ये दुरियां, 

रुबरु नहीं तुम मेरे इन लबों से तुझे छू लेती हुं ऐ जिंदगी! 

तेरी उल्फत तेरे वादे-वफ़ा कहीं मिलते नहीं इस जहां में, 

चल क्षितिज के पार चलें जहां बिछड़े दिल मिलते हैं ऐ जिंदगी!

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