विश्व पर्यावरण दिवस

 


रवि कुमार दुबे

हर साल 05 जून विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में आता है।

वृक्षों की उपयोगिता हमे समझा जाता है।

पीपल, बरगद, नीम इनसे बड़ा ना कोई हकीम।

वेदों ने भी यह बतलाया है।

वृक्षों के महत्ता को समझाया है।

कहते हैं सब वेद पुराण।

एक वृक्ष सौ पुत्र समान।

वृक्ष ही तो ऐसे है जो भूमि कटाव को रोकते है।

तो भी हम क्यों नही लोगों को वृक्षों को काटने पर टोकते है।

वैज्ञानिकों ने भी हमे समझाया है।

पौधों में भी जीवन होता है ये बताया है।

वृक्ष है हमारे लिए जीवन दाई।

इनको मत काटो मेरे भाई।

माँ धरती के सृंगार है वृक्ष।

मानव जीवन के लिये उपहार है वृक्ष।

थोड़ा तो रहम करो इनको काटने से पहले।

ऐसा ना हो कि ये प्राकृतिक असंतुलन हमसे ना संभले।

वृक्ष हमे ऑक्सिजन देते है जीवन पर्यन्त।

कृपया काट के मत कीजिये इनका अन्त।

अगर ऐसे ही पेंडो की कटाई रही जारी।

यकीं मानिये मेरा फिर से फैलेगी भयंकर महामारी।

वृक्षों से है मानव जीवन का गहरा नाता।

इतनी छोटी सी बात मानव को क्यों समझ में नही आता।

अगर ऐसे ही माँ धरती का श्रृंगार रहे है बिगाड़ते।

मानव जीवन तहस नहस होगा तड़पते तड़पते।

आइये आज हम दृढ़ संकल्पित हो।

वृक्षारोपण के लिए हम ना अलपित हों।

जीवन दाहिनी और प्राण दाहिनी वृक्ष हैं हमारे लिए।

कोई इनका हर विकल्प ना होगा गौर से सुन लीजिए।

आज के इस मॉडर्न युग में बोतल बंद पानी खरीदना जैसे हमारा शौक बन रहा है।

ऐसे ही ऑक्सिजन ना खरीदना पड़े ये भविष्य हमको दिख रहा है।

'रवि' करना चाह रहें हैं आप सभी बुद्धजीवियों से ये निवदेन।

वृक्षारोपण करते रहें जबतक हाला में है दम।


रवि कुमार दुबे

रेनुसागर,सोनभद्र- 231218

मो.- 8573001630

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