अधिकांश मैनें देखा और समझा है कि यदि नारी किसी पुरुष या दोस्त से दो शब्द हँस कर बात कर ले तो मज़ाक मज़ाक में कुछ ऐसा कह जाते हैं जो नारी के दिल को एक गहरी चोट दे जाते हैं।
कहते हैं ना कि खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है।बस ये कहावत ऐसे लोगों पर सटीक होती है।ये कविता उन लोगो के लिए है जो मजाक का नाम देकर नारी को शर्मशार करते हैं।बस चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत करना चाहती हूँ।
मानसी मित्तल
मजाक की भी हद होती है यार,
क्यों करते हैं लोग नारी के
दिल को तार तार।
किसी का मजाक उड़ाना
कोई अच्छे नही संस्कार,
ये तो जीवन की डोर है
कोई पतंग नही यार।
माना मजाक करना
कोई बुरी नही है बात।
पर किसी के दिल को ठेस पहुंचाना,
वो भी तो अच्छी नही होती बात।
मजाक मजाक में करते हैं ऐसी गलतियां,
जो दागदार कर देते हैं उनकी हस्तियॉं।
ये तो एक साजिश होती है हजूर,
किसी को बदनाम करने की कला उनमें होती है खूब।
उनकी कोई औकात नही,
किसी का मजाक उड़ाने की।
हमारे भी हैं जज्बात हैं,
थोड़ी शर्म तो करो जमाने की।
उनके बोल नारी के दिल को भेद देते हैं,
दोस्ती के नाम पर कलंक होते हैं।
वरना जिस दिन हम भी,
अपनी जिद पर आ गए।
कहीं के भी नही रहोगे जनाब!
स्वरचित✍️
मानसी मित्तल
शिकारपुर
जिला बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश