पथिक का कर्म



मानसी मित्तल

कर्म ही सबका लेख जोखा,

कर्म के पथ पर चलता चल।

जीवन है दुख सुख का साथी,

गिरता और संभालता चल।


घना तिमिर हो चाहे जितना,

अपनी मंजिल चढ़ता चल।

पथ में आएं चाहें काँटे जितने,

उन पर आगे बढ़ता चल ।


एक दिन डगर सरल भी होगी,

मन मे ये विश्वास भी रख।

पर्वत के जैसे अडिग रहे और

सदा अनवरत तू चलता चल।


सदा रहो कर्तव्यनिष्ठ तुम,

छल कपट तुम करना मत।

बस धर्म कर्म ही साथ है रहता,

इस लक्ष्य को लेकर चल।



स्वरचित ✍️

मानसी मित्तल

शिकारपुर 

जिला बुलंदशहर

उत्तर प्रदेश

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image