अमित कुमार बिजनौरी
हे नटखट बंशी वाले नयन निहारे तुम्हें ।
आन बसों चितवन में दिल पुकारे तुम्हें ।।
सृष्टि के कण कण में बसे हो जीवन में
खुशियाँ आती चलके तुम्हीं से दामन में
दो दान हमेशा कभी नहीं बिसारे तुम्हें
आन बसों....
हे बनवारी सबकी बिगड़ी बनाते हो
तुम ही दाता सबके उर में मुस्काते हो
कर दो कृपा सच्चे मन से उचारे तुम्हें
आन बसों .........
तेरी लीला तेरे सिवा हाँ कोई न जानें
अपना तू अमित तुझको अपना माने
होंगे किसी के लाखों अपने इंशारे तुम्हें
आन बसों......
@अमित कुमार बिजनौरी
स्योहारा बिजनौर
उत्तर प्रदेश
स्वरचित
मौलिक