सुनीता जौहरी
तू धरती सी धीर है
तू सावन की नीर है
बच्चों पर आए जो संकट
हर संकट टालें तू वो तीर है ।
तू कहती थी कि चिड़िया
धूल धुसरित जब होने लगे
समझो बारिश होने वाली है
तुम कहती थी जब धूप में
यूं बारिश होने लगती है तब
चिड़ियों की शादी होने वाली है
मां तू अक्सर करती थी रात को सारे पेड़-पौधे सो जाया करते हैं पत्तियों को तोड़ा नहीं करते हैं
मां कहां से इतना ज्ञान पाया
ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं फिर
क्या तू प्रकृति की परछाईं है
सिखाएं सारे ज्ञान तेरी मैं
हर पल निभाया करती हूं
इस तरह से मां मैं भी मां
का फर्ज निभाया करती हूं
मेरी मुस्कुराहट को देख कर
तू भी खुशी से मुस्कुराती है
परेशानी जो आए तो आंखें
गुमसुम आंसू बहाया करती हैं
मां के जैसे मधुर मुस्कान
किसी की हो नहीं सकती
वह तो हमारी जिंदगी को
हरपल स्वर्ग बनाया करती है
चुप रहती है कम बोलती है
चोट लगे तो चुप रोया करती है उम्र बीत गई अपनी पसंद - नापसंद
आज तक जान नहीं पाई है
इस पर भी शिकायत वो किसी
से भी नहीं किया करती है
मां तुम महान हो,
तुम आत्मसंधान हो
मां को कैसे वर्णन करें
मां सिर्फ तुम मां हो ।।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी उत्तर प्रदेश