मरीचिका के गीत

 सुनीता द्विवेदी

मरीचिका के गीत 

बीता हुआ अतीत 

तड़ित जैसी सखि री 

यह कपटी की प्रीत 


रहती क्षण दो क्षण

पल में जाती बीत 

रस ले गया भौरा

सुना वेणु के गीत

अखियाँ बहती नदी

अधर विरह संगीत

वचन कल परसों का

बरस गए है  बीत

रस लूटने आते

सखि भ्रमर नहीं मीत 

सखि (री) भ्रमर नहीं मीत


🌻 सुनीता द्विवेदी🌻

🌻कानपुर उत्तर प्रदेश🌻

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