श्वेता शर्मा
मैं चंदन बन तेरा जीवन महकाउंगी
अपने प्यार की खुशबू तुझ पर लुटाऊंगी
तेरे जीवन के कष्टों को हर जाऊंगी
तेरे लिए प्रीत की बादल बन जाऊंगी
तेरे जीवन में रक्षा कवच बन जाऊंगी
चंदन पर जैसे लिपटे है भुजंग
वैसे मैं तुझ से लिपट जाऊंगी
चंदन बन तेरा जीवन महकाउंगी
तेरी हर बाधाओं को मैं सुलझाऊंगी
तेरे लिए हँस कर जहर भी पी जाऊंगी
अमृत की धारा तुझ पर बरसाउंगी
चंदन बन तेरा जीवन महकाउंगी
सुख दुख में तेरा साथ निभाऊंगी
तेरे सारे सपनों को सच कराउंगी
हर पल हर क्षण तेरा साथ निभाऊंगी
मैं चन्दन बन तेरा जीवन महकाउंगी
श्वेता शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़
स्वरचित