रश्मि मिश्रा 'रश्मि'
किसने,,कितनी आग लगाई, रव जाने!!
कौन है कितना हरजाई,रव जाने!!
सीरत-सूरत को पढना मेरा काम नहीं
मैं तो पीड़ा का सौदाई ,ये रव जाने!!
किसके दामन में कितने दाग लगे
क्यों नजर रखूं
आने वाला कल कैसा होगा क्यों फिकर करूं
एक अबूझ पहेली सा है ये जीवन,,,
ठहरेगा कौन,,किसे जाना होगा ये रव जाने!!
बहता दरिया सा पानी है ये जिंदगानी
फिर भी इंसा करता है मनमानी
निश्चित परिणाम सामने आएगा,,
कितनी की तूने नादानी ये रव जाने!!
रश्मि मिश्रा 'रश्मि'
भोपाल (मध्यप्रदेश)