साधना कृष्ण
अर्ज कोई करें लाख क्या फायदा।
मनचलों पे फिरे आँख क्या फायदा।।
हो जहाँ आपकी अहमियत ही नहीं।
तो दिखानी पड़े शाख क्या फायदा।।
बोलकर गर जताना पड़े इश्क है।
फिर बहाना करें लाख क्या फायदा।।
घर नहीं जब बनाये परिन्दें कभी।
पेड़ चाहे बड़ा शाख़ क्या फायदा।।
दे सकी तुम हवा ओ दवाई नहीं।
फेंक के फिर नदी राख क्या फायदा।।