माँ

आराधना प्रियदर्शनी

जीवन खुशहाल बनाती है,

भू पर वह स्वर्ग बनाती है,

उसकी ममता के आंचल में,

नर्क भी जन्नत कहलाती है।


स्पर्श जो उसका मिलता है,

फिर जाने क्या हो जाता है,

हर कष्ट दूर हो जाता है,

पुलकित मन खिलता जाता है।


उसके आने की आहट सुन,

रोम-रोम मुस्काता है,

जब एक पल का भी वियोग हो,

मन रोता है चिल्लाता है।


उसके पावन चरणों में,

हमें यह जीवन जीना है,

जहर भी दे दे चाहे वह,

हंसकर उसको भी पीना है।

 

उसने हमें है जन्म दिया,

कितना कोमल उसका दिल है,

इस प्रेम पूर्ण अनुभव का,

कर्ज चुकाना मुश्किल है।


उनकी हर बात फिक्रमंद,

उनके बताएं अनुभव सच्चे होते हैं,

चाहे कितने भी बड़े हो जाए हम,

उनके लिए सदा बच्चे ही होते हैं।


चाहे हम कहीं भी हो,

उनकी दुआ वहां होती है,

हर पीड़ा को महसूस करे जो

ममता की मूरत मां होती है।


● आराधना प्रियदर्शनी

      बेंगलुरु,कर्नाटका

       96200 24031

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