डॉ मधुबाला सिन्हा
कहाँ जा रहे हो ?
सब्जी लाने,,क्यों ??
अरे नहीं कुछ । बस यह कह रही थी कि आज कढ़ी- चावल बना देती हूँ । बाहर मत जाओ ।
बस गया और आया ,,तब तक चाय चढ़ाओ ।
तो सुनो न,,,सब्जी आज ठेले से ले लो,मंडी मत जाओ।
अरे नहीं जी,,ताजी सब्जी ठेले पर नहीं मिलती। बस ,,गया और आया।
जाओ,,तुम अपने मन की करते हो,मेरी तो सुनते ही नहीं।पर जल्दी आना और हाँ,,मास्क लगा कर जाना।
पर वे सुनते कहाँ थे,मुस्कुराते निकल गए।
आँटी-आँटी
हाँ,,कौन है ??
आँटी,,अंकल की तबियत खराब हो गयी है,,लोग उन्हें अस्पताल ले गए हैं। जल्दी चलिए ।
क्या ?????
अभी तो सब्जी लाने गए हैं वे।
हाँ आँटी,,जल्दी चलिए,,मैंने देखा तो आ गया आपको बताने ।
और वह जल्दी-जल्दी ,,घर मे रखे रुपये-पैसे बटोरती,,घर को ताला लगाती ,,निकल पड़ी अस्पताल ।
आज सात दिन हो गए हैं ।वे स्वयं चलने-फिरने में असमर्थ हैं,,पर डॉक्टर के कथनानुसार अस्पताल का बिल और दवा,,खाना,,फल वग़ैरह का बिल भरती,पति के स्वस्थ होने की कामना करती ,उनकी एक झलक देखने को बेचैन ,,इधर से उधर भटकती रहती हैं।पता नहीं कैसे होंगे ? क्या कहना चाह रहे होंगे ? तबियत कैसी होगी ?? बच्चे बाहर हैं,,लॉकडाउन के कारण आ नहीं पा रहे हैं। विवशता की घड़ी के साथ परीक्षा की भी घड़ी है । हे मन ,,धीर धरो ।
माँ जी,,आपके साथ कोई है ??
नहीं बेटा,,मेरे पति यहाँ भरती हैं।
हाँ माँ जी--मैं यही बताने आया था कि आपके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे ।
क्या ??????
अभी- अभी तो नर्स ने बताया है कि उन्हेंने दलिया खाया है ।
हाँ माँ जी--पर अब वे नहीं रहे।अस्पताल की औपचारिकता पूरी कर आप " लाश" को अंतिम संस्कार के लिए ले जा सकती हैं।
क्या ????
लाश !!!!!!
मेरे पति लाश हैं ?? मुझे चाय चढ़ाने को कह कर सब्जी लेने जाने वाले मेरे पति अब "लाश" हो गए हैं ? कोई तो कुछ बोलो ???यही बात दो कि उन्हें हुआ क्या था ??सब चुप क्यों हो ???
वह,,रो रोकर बेहाल थीं।कोई आसपास न था।सामने पति की लाश रखी थी पर वह उन्हें बिना अस्पताल की औपचारिकता पूरी किए ले नहीं जा सकती थीं। आख़िरी हिम्मत बटोर वह जीवन की अंतिम औपचारिकता पति के साथ की पूरी करने चल दीं।उनकी "लाश" को सदगति जो देनी थी।
---इति......
डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,चम्पारण