साधना कृष्ण
मैं भटके को राह दिखाने आया हूँ।
मजलूमों से प्यार जताने आया हूँ।।
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खोये हैं जिन आँखों से ख्वाब नये से।
उन आँखों में ख्वाब सजाने आया हूँ।।
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जीवन की इन पथरीली सी गलियों में।
लेकर छेनी राह बनाने आया हूँ।।
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बैठे हैं जो ओढ़ उदासी की चादर।
उनकी अधरों हास खिलाने आया हूँ।
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सोई सोई जिसके मन की हिम्मत है।
उस दिल में विश्वास जगाने आया हूँ।।
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