स्मिता पांडेय
बिछड़े दोस्तों के साथ, कुछ वक्त बिताने के लिए,
जिंदगी के इस सफ़र की, थकान को मिटाने के लिए
इस दौड़ पर विराम जरूरी है।
बीती बातें भुलाने के लिए, खुद को समझाने के लिए,
बोझिल सी इस जिंदगी में, कुछ पल मुस्कुराने के लिए,
इक क्षणिक विश्राम जरूरी है।
भीगी पलकें छिपाने के लिए, रूठों को मनाने के लिए,
बिखरी सी इस जिंदगी को, रंगों से सजाने के लिए,
रिश्तो में मिठास जरूरी है।
कलम को उठाने के लिए, कुछ लिख पाने के लिए,
अपनी जिंदगी का हर गीत, स्वतः गुनगुनाने के लिए,
साज़ों में आवाज़ जरूरी है।
स्वरचित
स्मिता पांडेय लखनऊ