याद हमें न करना है
बीत गया जो वर्ष उसे अब ,याद हमें न करना है,
नम आंखों के अश्रु पोंछ कर, सपने उनमें भरना है,
जो दौड़े थे जीवन भर पर ,लक्ष्य नहीं मिल पाया,
आंखों में सपने थे उनको, सत्य नहीं कर पाया,
मौन रुदन को वाणी का जो ,वस्त्र नहीं दे पाया,
उनकी पीड़ा के हर स्वर को, आज हमें सुनना है।
कटु स्मृतियों से तुमको हम, आज विदाई देते हैं,
फिर न आना व्याधि को लेकर, तुम्हें बताए देते हैं,
फूल सुकोमल बच्चे अब तक, खिलने से डरते थे,
पर फैलाकर पक्षी को तो ,नभ मे अब उड़ना है ।
जीवन एक पहेली
जीवन एक पहेली सा है, मुझ से सुलझ न पाए,
हर पग पर है एक समस्या, दूर खड़ी मुस्काए।
जीवन को मैं जितना समझूं,और उलझता जाए,
हर इक लम्हा आता जाता ,मुझे बहुत भरमाए ।
सदा पहेली बनकर जीना, मुझे नहीं आता है ,
आंख मिचौली सा ये जीवन, मुझको न अब भाए ।
डोर उलझती जाए मुझसे, जितना मैं सुलझाऊं ,
सिरा छिप गया कहां न जाने, मेरी पकड़ न आए ।
स्मिता पांडेय
लखनऊ उत्तर प्रदेश