रक्तबीज

       


राकेश चन्द्रा

टॅंकते थे बटनहोल में सुन्दर गुलाब से

टूटे हुये बटन हैं वो आज चन्द लोग ।

 

ढ़ोते हैं अब बेताल को विक्रम बने हुये

परिचित सरों को फांदकर जो बढ़ गये थे लोग ।

 

करते थे राजमार्ग पर जो रफ्तार का पीछा

खामोश हो गये हैं वो लामबन्द लोग ।

 

थे लूटते जो कारवां रहबर के भेष में

नये कारवां की खोज में हैं मुब्तिला वो लोग ।

 

टॉनिक की तरह पीते रहे औरों का जो लहू

लिपटे हुये अनार पर अमरबेल से हैं लोग ।

 

खून से सनी हुई माफिक जमीन में

लहलहाते रक्तबीज वो आज बन  गये हैं लोग ।


राकेश चन्द्रा

610/60, केशव नगर कालोनी, 

सीतापुर रोड, लखनऊ

 उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 9457353346

rakeshchandra.81@gmail.com

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