प्रसिद्धी को संभालना आसान नहीं

भावना ठाकर 'भावू '

जनता जनार्दन के रहमोकरम पर टिका स्टारडम यानी कि प्रसिद्ध कोई झिलमिलाते आसमान सी सुंदर और मखमली बिस्तर सी मुलायम नहीं होती। प्रसिद्धि आसानी से मिलने वाली चीज़ नहीं है, और मिलती भी है तो उसे संभाल पाना बहुत मुश्किल काम होता है। प्रसिद्धि व्यक्ति को ज़िम्मेदार बनना पड़ता है। समाज में उस व्यक्ति का अनुसरण करने वाला एक वर्ग होता है, फ़ैन फौलोअर्स होते है। उनकी हर गतिविधियों पर समाज और मीडिया की नज़र रहती है। सेलिब्रेटी को आलोचना और समीक्षा की कंटीली धार पर चलते अपना स्थान बनाए रखने कि जद्दोजहद और मानसिक परिताप झेलते कई कसौटी से गुज़रना पड़ता है।

सेलिब्रिटी न कहीं आराम से घूम-फिर सकते है, न आम इंसान की तरह जी सकते है। उनके एक अच्छे काम पर तारिफ़ों के पुल बाँधती है जनता तो एक हल्की सी गलती पर नज़रों से गिरा भी देती है। भले किसी भी क्षेत्र की जानी-मानी हस्ती क्यूँ न हो प्रसिद्धि की किंमत चुकानी ही पड़ती है।

जनता देश के प्रधानमंत्री तक को नहीं बख़्शती जिनके कंधे पर पूरे देश का भविष्य टिका है ज़रा सी गलती पर हीरो से ज़ीरो की श्रेणी में रख दिया जाता है।

और अगर फ़िल्म जगत का कोई सितारा अपनी अदाकारी के दम पर आसमान की बुलंदियां छू रहा होता है ऐसे में एक फ़्लोप फ़िल्म उसे धरती पर लाकर भी खड़ा कर देती है। या क्रिकेटर को ही ले लीजिए किसी मैच में अच्छा प्रदर्शन जनता की नज़रों में हीरो बना देता है पर एक मैच का खराब प्रदर्शन क्रिकेटर को गालीयों की बौछार से नवाजता भी है। मीडिया के निशाने पर रहने वाली सेलिब्रेटी को हर बार अपना शत-प्रतिशत देने का दबाव कभी-कभी अवसाद का शिकार बना देता है। 

लोग ये नहीं समझते कि सेलिब्रिटी भी इंसान है, हर बार क्रिकेटर सदी नहीं लगा सकता या किसी हीरो की हर फ़िल्म हीट हो ये जरूरी नहीं होता।

जनता के प्यार और अहसानों की मोहताज होती है प्रसिद्धि। हर सेलिब्रिटी को उपरवाला एक दशक देता है, अगर अपने दम पर टिके रहे तो ठीक है वरना सितारा कब गर्दिश का रुख़ कर ले पता ही नहीं चलता। बहुत कम लोग सालों तक जनता के दिल पर राज करने का हुनर और किस्मत रखते है।

हर किसीका नसीब अमिताभ बच्चन और अब्दुल कलाम आज़ाद जैसा नहीं होता इन दो हस्तियों के गरिमामय व्यक्तित्व और सालस स्वभाव ने लोगों के दिलों को जीत लिया है। आज से पचास साल बाद भी इनके स्थानों की पूर्ति असंभव है। स्टारडम को पचाना आसान नहीं कई लोग ज़रा सी प्रसिद्धि पर इतराने लगते है, दिमाग में राय भर जाती है और खुद को कुछ समझने लगते है, ऐसे लोगों का पतन निश्चित होता है। 

पर सेलिब्रिटी को समझना चाहिए कि उनका स्थान भले आसमान पर हो पर जिनके पैर ज़मीन से जुड़े रहते है उनको आवाम और मीडिया सर आँखों पर बिठा कर रखती है। और सेलिब्रिटी का समाज के प्रति एक कर्तव्य होता है कि हर काम ऐसे करें जिनकी प्रेरणा पूरे समाज को मिले। आज की तारीख में जिसका जीता जागता उदाहरण सोनू सूद है। प्रसिद्ध हो तो समाज के लिए उदाहरण बनों और स्टारडम को ताउम्र बनाए रखो। 

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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