'ऐनुल' बरौलवी
दे गया माहे - रमज़ाँ खुशी ईद की
हो मुबारक तुझे ये घड़ी ईद की
भूल जाओ चलो सारे शिकवे - गिले
सेवई ख़ूब खाओ पकी ईद की
लाॅकडाउन में घर पर है पढ़ना नमाज़
फोन पर बाँटो सबसे खुशी ईद की
तुम बनावट , नहीं कुछ दिखावा करो
आज क़ाइम करो सादगी ईद की
छोड़ नफ़रत , सदाक़त पे चलते रहो
प्यार ही प्यार पाओ गली ईद की
हाथों को है मिलाना मना , कर सलाम
दो मुबारक मगर तुम सभी ईद की
या ख़ुदा तुम सलामत रखो और दो
दिल में उल्फ़त , लबों पर हँसी ईद की
है दुआ आज 'ऐनुल' सभी के लिये
हर चेहरे पर खिले इक कली ईद की
'ऐनुल' बरौलवी
गोपालगंज (बिहार)