गजल



देवकी दर्पण

अब संकेतो मे समझाना सीखो। 

नयनो नयनो मे बतलाना सीखो।।१।। 


बहरा गये श्रवण तेरी झिक झिक से। 

चक्षु से दो जाम पिलाना सीखो।।२।। 


छोडो नाद सिंहनी जेसा सजनी। 

अगमाजो से काम बताना सीखो।।३।। 


खुद को बाहर लाओ तुम अंधियारे से। 

अमिट प्रेम का दीप जलाना सीखो।।४।।


चीख चीख कर हमे बुलाना भूलो। 

बस अमृत वेणो से सहलाना सीखो।।५।। 


मत कोसो नाजायज सह नही पाऊगा। 

भावों का अंदाज लगाना सीखो।।६।। 


चोट लगे जिससे नाजुक दिल को।

मरहम वह अल्फाज बनाना सीखो।।७।। 


टोको गलत राह पर पग पड़जाये तो। 

उलाहना इस दर्पण को देना सीखो।।८।।


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