"दिल को दिल से लगाकर
आशिक़ी तो कर डाली हूँ
अब पछताउंगी नहीं क्यों
दिल्लगी नहीं कर डाली हूँ
कुछ अपनी तो सुना जाओ
कुछ अपनी भी सुनाती हूँ
तुम मुकर जाओ भले पर
गुस्ताख़ी तो कर डाली हूँ
जिंदा हूँ रश्में उल्फ़त से मैं
वेवफाई ना कभी करती हूँ
साथ जीने और मरने की मैं
वादा तुम्हीं से तो करती हूँ
ख़ुदकुशी की जो चाह आई
मन का मैल धो तो आती हूँ
बरसों बरस हम साथ रहे हैं
यह बरसों निभा मैं आती हूँ
एक वादा तो करो तुम मुझसे
वादा को न कभी भूलाती हूँ
जीती हूँ मैं बस साँस में तेरी
मैं भी यह वादा कर आती हूँ
चलो जी ले और हम एक दिन
एक एक कर कम हो रही हूँ
बिछड न जाऊँ मैं कहीं अब
वादा तुम्हीं से यह करती हूँ.....
★★★★★★
डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,चम्पारण