इंसान की कीमत
आज इंसान अपनी कीमत
घटा रहा,
इस कोरोना काल में भी
पैसे कमा रहा,
शर्म नही इंसान को
इस मुश्किल दौर में भी
पैसे कमाने की सोच रहा,
जहां एक और इंसान मर रहा,
और दूसरी और इंसान अपनी जेबें
भर रहा।
तुम अपना दिमाग भूखे भेड़िए
की तरह न चलाओ,
कुछ तो इंसान पर रहम खाओ,
इंसान की कीमत को यूं न घटाओ,
ये वक्त कमाने का नही जान बचाने का है,
इसे यूं न गंवाओ।
कहीं दूर चलें
चलो कहीं दूर चले हम,
जहां न कोई दुखी हो,
न निंदा हो,
न कोई निराश हो,
न दुख की आस हो,
न कोई रोग हो,
न किसी में दोष हो,
न कोई इच्छा हो,
चलें ऐसी जगह हम,
जहां सुख ही सुख हो,
कोई निराश न हो,
सब निरोगी हो,
जीने की आस हो,
खुशियां ही खुशियां हो,
गुनगुनाने की चाहत हो,
पेड़ो की छांव हो,
पक्षियों की चहचहाट हो,
शीतल हवा हो,
ईश्वर की दुआ हो,
जहां प्रेम हो,सिर्फ प्रेम हो।
हरप्रीत कौर
शाहदरा, दिल्ली