डॉ निरूपमा वर्मा
आज शाम को मेहंदी की रस्म है , कल शादी है । चार -पांच रिश्तेदारों के बीच मीनाक्षी अपनी हथेलियों में मेहंदी लगवा रही हैं। कि अचानक मीनाक्षी के पिता गिर गए। उनकी तबीयत बिगड़ गई। आनन फानन में उनको समीप के क्लब हाउस में बने आइसोलेशन सेंटर में उन्हें आइसोलेट कर दिया । कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई । लेकिन एक पिता भीतर से अपनी अंतिम घड़ी नजदीक महसूस कर रहे थे । वो किसी तरह वक्त को थामकर बेटी का ब्याह देख लेना चाहते थे । लेकिन बेटी मीनाक्षी टूट चुकी थी। इसलिए शादी को रोक देना चाहती है। उसके पिता, जिनकी दोनों किडनी फेल। उसकी मां, जो सिर्फ एक किडनी पर जीवित हैं। पति को जीवन देने को एक किडनी उन्हें दे चुकी हैं और इकलौती बेटी मीनाक्षी जो इस घर को बेटे से भी बढ़कर संभाल रही है।
मेहंदी रचे हाथों से वह पिता को बचाने के प्रयास में दौड़ भाग करने लगी । रुपयों का इंतजाम से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर तक के लिए भागती रही । हालत गंभीर होती जा रही थी , क्योंकि सांस लेने में तकलीफ बढ़ती जा रही थी । ऑक्सीजन का इंतजाम इस क्लब सेंटर में नहीं है । अब उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करना जरूरी है ।पता नहीं अस्पताल में बेड मिलेगा या नहीं ... मीनाक्षी चिंतित और व्यथित थी । पिता अबोले से याचना पूर्ण दृष्टि से बेटी की ओर देखने लगे --' मानो जिद पर थे,कि अस्पताल जाने से पहले बेटी को ससुराल विदा करना चाहते हैं । '
मीनाक्षी को झुकना पड़ा और अस्पताल जाने से पहले उसी क्लब में पिता के 'बेड' के समक्ष मीनाक्षी ने अपने जीवन साथी संजीव के साथ सात फेरे लेकर विवाह की रस्म निभाई और पिता की इच्छा पूरी ।
अब बेटी की बिदाई की रस्म होनी है । ...बाबुल की दुआएं लेती जा .... ' ' !! पिता की आंख से अश्रु धारा बह निकली । संजीव बिदा करा के मीनाक्षी को आइसोलेशन कमरे के निकास द्वार तक ले गया । मीनाक्षी दरवाजे से पुनः लौट आई मानो पग फेरे के लिए आई हो । संजीव एम्बुलेंस लेने बाहर जा ही रहा था कि मीनाक्षी की चीख़ सुनकर वापस लौट आया । न अस्पताल , न बेड , न ऑक्सीजन की जरूरत थी अब । बेटी को आशीर्वाद देकर पिता दुनिया से रुखसत हो गए।
डॉ निरूपमा वर्मा
एटा-उत्तर प्रदेश