मधु अरोड़ा
नारी तुम सीता ,युगो से दी अग्नि परीक्षा
नारी तुम मीरा ,लगातार की आराधना।
किया संघर्षों का सामना
लोगों की करती हो सेवा
कभी घर तो कभी बाहर ।
नारी तुम अनुसुइया
रखती हो तुम सामर्थ्य,
अपने घर में सृष्टि कर्ता को गोद खिलाने की
नारी तुम सहचरी ,
कदम कदम पर साथ देती हो पुरुषों का
कंधे से कंधा मिलाकर चलती हो।
नारी तुम दुर्गा, नारी तुम काली
जग की कर्ता ,भर्ता ,हर्ता भी बन जाती हो।
गर अपनी पर आ जाओ ,
सब कुछ करने का साहस कर जाती हो।
मां यशोदा बन ,
सृष्टि कर्ता के सुंदर, बालपन में खो जाती हो ।
राधा बन प्रेम से परिपूर्ण हो जाती हो ।
तुम्हारे रूपों की बात कहूं क्या ,
हर रूप तुमसे परिपूर्ण हो जाता है।।
दिल की कलम से