विश्व परिवार दिवस आया 15 मई
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
अब न रहे वो,घर के मुखिया,
नहीं रह गया,आपस में प्यार।
जलता था जब,एक ही चूल्हा,
मिल कर सभी,करते थे काम।
बना रसोई में,जब भी है खाना,
एक साथ मिल,बैठ कर खाते।
चाय पकौड़ी हो,कोई पकवान,
दुबला पतला हो, या बलवान।
मिलता सभी को,सब कुछ था,
किसी को कोई,गिला नहीं था।
आपसी प्रेम एवं,था सच्चा प्यार,
इसी लिए चलता,ये था परिवार।
कभी कभी तो,महिलाएं व बहुयें,
काम से थक के,हो जाती थीं चूर।
लेकिन फिर भी,कोई ना शिकवा,
न आपस में ही,थी कोई तकरार।
एक दूजे के लिए,भरा था दिल में,
सब के जो सच्चा,निःस्वार्थ प्यार।
छोटा बड़ा या,कोई भी हो बच्चा,
मुखिया के दिल में,भरा था प्यार।
मनाता था परिवार,मिल जुल कर,
आया जो हर,खुशियों का त्योहार।
परदेशी परिजन,ये भी घर आते थे,
लेकर अपने साथ,सभी के उपहार।
कितना अच्छा लगता,था वह दिन,
आपस में मिलके,मनाते थे त्योहार।
बच्चे भी ये पाले हैं,ताई,चाची,बुआ,
ताऊ चाचा बाबा,दादी संग गोद में।
चिंता थी न कोई,संयुक्त था परिवार,
सहन शक्ति थी व,एक दूजे से प्यार।
उन्नति प्रगति भी,हरदम अच्छी रहती,
समाज में शाख़ व,इज्जत थी रहती।
सब कर लेता था,एक संयुक्त परिवार,
हाथ बँटाते थे सब,जो भी होता कार।
आज कम मिलते हैं,ये संयुक्त परिवार,
आपस में प्रेम रखें,व करें सब से प्यार।
स्वार्थ छल कपट से,टूटे संयुक्त परिवार,
मुखिया का मान नहीं,वे हो गये बेकार।
अपनी मन मर्जी है,व अपना है परिवार,
अब न दिखे वो प्रेम,ना संयुक्त परिवार
छोड़ें रार अगर कोई हो,प्रेम बढ़ाएं यार,
अनमोल सदा रहा है,ये अपना परिवार।
(डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव)
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596