हां मैं मजदूर हूं।
मुझे तेरे शहरो ने बुलाया था,
इसलिए मैं यहां आया था।
अभी तुम मुझे भगा रहे हो साहब
मगर एक दिन तुझे बुलाना पड़ेगा।
**हां मैं मजदूर हूं।*
तेरे बिखरे ख्वाब को हमने सहारा दिया
पर तूने भी बुरे वक्त में हमें भगाया था,
तेरे सपनों को आकार दिया हमने,
पर तूने भी बहुत अत्याचार किया हम पर,
**हां मैं मजदूर हूं **।
पर मजबूर नहीं
तुमने हमें कारखानों और दफ्तरों से भगाया है,
प्रशासन ने हमें सड़कों से भगाया है।
तूने तो मजदूर को लाचार बना दिया
अपनों से अपनों का परिवार छुड़ा दिया,
पर मुझे अपने पर गुमान हैं,
क्योंकि मैं तेरे उजड़े चमन के सृजनहार हूं।
**हां मैं मजदूर हूं।**
अभी मुझे भगा रहे हो यकीन करो
एक दिन तेरे उजड़े चमन का
फिर से सहारा बनूंगा।
हालात सही हो जाए तो मुझे याद कर लेना
मैं फिर आऊंगा तेरे सपनों को आकार देने क्योंकि
मैं मजदूर हूं साहब
**हां मैं मजदूर हूं।*
प्रमोद नवरत्न
बिलासपुर छत्तीसगढ़