सपनों का नगर

उदय किशोर साह

सपनों का नगर बनाऊँगा

हर अमीर -गरीब को बसाऊँगा

खुशियों की सूरज को बुलाऊँगा

दिन रात नगर को चमकाऊँगा


संतोष की खेती कराऊँगा

मुस्कान की फसल उगाऊँगा

मानवता का बादल दिखलाऊँगा

इन्सानियत की जल बरसाऊँगा


नारी को सम्मान दिलाऊँगा

बेईमान को नहीं बसाऊँगा

ईमान की मंदिर बनवाऊँगा

विश्वास की मूरत बैठाऊँगा


आस्था की गुंज लहराऊँगा

धर्म की शंख बजाऊँगा

पावन गंगा में डुबकी लगाऊँगा

संस्कार को फिर अपनाऊँगा


इक नई दुनियॉ दिखलाऊँगा

जन्मदाता की चरण दबाऊँगा

नैकी की सीख पढ़ाऊँगा

भाईचारा की फूल लगाऊँगा


नीयत की डगर पे ले जाऊँगा

दुश्मनी को नगर से भगाऊँगा

ईष्या द्वेष से सबको बचाऊँगा

खूबसूरत एक गुलशन सजाऊँगा


ज्ञान की लाख दीप जलाऊँगा

अज्ञान को दूर भगाऊँगा

विद्वजनों को नगर में बसाऊँगा

अन्याय को दफन कर जाऊँगा


अंधेरे में उजाला दिखलाऊँगा

उगता सूरज को बुलाऊँगा

मीठी जल की सरिता बहाऊँगा

सपनो की इक नगर बनाऊँगा

उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088

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