नीरज कुमार द्विवेदी
बन मेरी प्राणप्रिया मानी थी तू मुझे पिया,
आठ साल पहले तू पकड़ी कलाई थी।
बाबुल की बगिया को सींचा जिसे तुमने था,
मेरे लिए स्वर्ग सा वो धरा छोड़ आई थी।
टुकड़ा जो दिल का था मेरे हाथ सौंपकर,
अश्रु के पयोधि मैं कितना बहाई थी।
साथ नहीं छूटे अब जनम-जनम तक,
दोनो ने ही संग-संग कसम ये खाई थी।
नीरज कुमार द्विवेदी
गन्नीपुर-श्रृंगीनारी
बस्ती-उत्तरप्रदेश
दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह परिवार की ओर से द्विवेदी दम्पत्ति को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं बहुत बहुत बधाई