'' सभी भाई बहनो को विश्व मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें''-----
मणि बेन द्विवेदी
माँ एक पावन एहसास है ,पवित्र,निर्मल सुन्दर सा वो नाम है जिसमे तीनों लोक,तीनों देव् ब्रह्मा,विष्णु,और महेश और चारो धाम निवास करते हैं। जो सिर्फ़ एक दिन नहीं बल्कि हर पल हमारे वज़ूद में मौज़ूद रहती है,हम कभी भी,कहीं भी रहें अपनी माँ को नहीं भूल सकते।
क्या कोई एक दिन माँ के लिए हो सकता है ? माँ तो सृष्टि है जिसमे हम निवास करते हैं,कोई एक दिन माँ के लिए नहीं हो सकता माँ मेरी सांस है,जिंदगी है,हम सभी की भगवान् है,.......
आइये आज हम विश्व की सभी माँ को नमन करे क्यूंकि माँ तो माँ होती है,........भले ही वो एक पतिंगे से डरती है पर अपने बच्चों के लिए सांप मार देती है। माँ वो होती है........
==================================================
''माँ''
माँ वो स्वर्णिम शब्द है.....
जो स्वयं में समेटी हुई है सृष्टि को,
जो सिर्फ जन्मदाता ही नहीं,
हमारे कर्मों में भी हिस्सेदारी निभाती है,
हमारी प्रथम गुरु माँ.....
जो भरती है अपने बच्चों में संस्कार,व्यवहार,
पढ़ाती है पाठ रीती रिवाज़ों का,
रिश्तों का मर्म समझाती है,
जीवन पथ पर चलना सीखाती है,
माँ के एक स्पर्श से ही
सारी पीड़ाएँ दूर हो जाती थी
माँ की एक जादुई फूँक से....
सारे ज़ख्म भर जाते थे.....
सच माँ के हांथों में कोई जादू तो था.....
कितना घना छाँव था माँ के आँचल में....
जब भी बाँध देती थी मन्नत का धागा,.....
माँ के चरणों में......
वो फ़रियाद तुरंत पूरी हो जाती थी.....
हमारे पीछे सुबह से शाम तक दौड़ती भागती,......
फिर भी नहीं थकती,......
मुझे डाँट कर खुद रोती थी माँ,....
सारे रिश्तों को गूँथ कर एक माला
थमा कर माँ मेरी बहुत दूर चली गयी मुझसे,.....
अब मैं माँ बन कर ऋण चुका रही हूँ माँ का!!
माँ तुम्हे शत शत नमन------
विश्व की सभी माँ को समर्पित!!
# मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश