रीमा ठाकुर
ढूँढती है नजर, इस भरे शहर मे,
तू मेरा प्यार था तो ,कहाँ खो गया,
तू मेरा प्यार था ,तो कहाँ खो गया!
कई जन्मो के वादे, किये थे मगर,
हर गली, हर शहर तुझको ढूंढे नजर,
तू कहाँ खो गया, ये पता न चला,
तू मेरा प्यार था, तो कहाँ खो गया!
मै तेरा जिस्म हूँ, तू मेरी सॉस है,
तू मुझमे तराशी ,वो तस्वीर है,
तू वफा है मेरी, मै,सदा हूँ तेरी,
तू कहाँ खो गया, ये पता न चला,
हर जन्मो की राधा मै तेरी बनूं,
तू कृष्णा बने, हर जन्म का मेरा.
तू कहाँ खो गया, ये पता न चला!
ढूंढती है नजर, इस भरे शहर मे,
तू कहाँ खो गया, ये पता न चला!
तू कहाँ खो गया, ये, पता न चला'
रीमा महेंद्र ठाकुर लेखिका
रानापुर झाबुआ मध्य प्रदेश