डॉ सुलक्षणा

 घर की लड़ाई घर म्ह सुलझाई जाया करै,

हो किमैं कमी बाहर ना बताई जाया करै।


बड़े कुणबे म्ह सबकी एक सी रै ना होंदी,

जो ना मानै उस ताहिं समझाई जाया करै।


घर का मुखिया शान होया करै कुणबे की, 

र उसकी गलत बात बी पुगाई जाया करै।


मान राखना चाहिए भरी पंचात म्ह उसका,

कमी उसकी घरां बैठ बतलाई जाया करै।


जद घर के लड़ें फैदा बाहर आले ठाया करैं,

भाई बलदी म्ह दूणी आग लगाई जाया करै।


छोड़ मनमुटाव आपणा, एक होना पड़ैगा,

न्यारे न्यारे चालै तै इज्जत गंवाई जाया करै।


सुलक्षणा कर कोशश कुणबा पाटै ना न्यारा,

इसे टैम कुणबे की मरोड़ दिखाई जाया करै।


©® 

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