हम नफस बन के तुम दिखाओ,
जो गिर पड़ूं तो मुझे उठाओ ।
कभी जो राहों में डगमगाऊं ,
तो बन सहारा मुझे बढ़ाओ ।
तुम्हें नजर में बसा लिया है,
कभी का अपना बना लिया है,
जहां भी देखूं तुझे ही पाऊं,
यूं दूर से न मुझे सताओ।
सदा हमारी जो तुमको पहुँचे ,
तो थोड़ा रुक कर मुझे बुलाओ,
तभी लगेगा है तुमको उल्फत
यूं अपने दिल में मुझे बसाओ ।
स्वरचित
स्मिता पांडेय लखनऊ