कभी अपनी भी गलतियां को मान लेना होता हैं ,
कभी अपनी भी आदतों को सुधार लेना होता हैं ,
कभी मैं झुक जाऊं कभी तू झुक जाना मेरे दोस्त,
एक दूसरे को प्यार से हमेशा मना लेना मेरे दोस्त,
रूठ भी जाऊँ तो तुम कभी मत रूठना मेरे दोस्त ,
तुझे वक्त न दे पाये तो फिर भी क्षमा कर देना दोस्त ,
तुम ही हो जो मेरी सुख-दुख को समझ सकते हो ,
एक तुम ही हो जो हर दुख-दर्द पे मलहम लगाते हो ,
ये दोस्ती हर मोड़ पे न जाने क्यों इतनी इम्तिहान लेती हैं ,
तुझे भी पता है उसके बिना मेरा जीना मुमकिन नहीं है ,
फिर भी तू क्यों हमे उससे दूर रहने को मजबुर करती हैं ,
अब बस भी कर न क्यों बार-बार मुझे कमजोर करती हैं ,
मनीषा कुमारी
मुंबई