श्री कमलेश झा
हवन कुंड के पावन कुंड में आहुति की आवश्यकता।
धन मन और ज्ञान के आहुति की आवश्यकता ll
वीर सैनिक सीमा पर नित नित दे रहे आहुति ।
उनके चिता भस्म को माथे से लगाना अभी बाकी ll
दिल को कठोर कर उनके परिजन पुनः आहुति को तैयार।
सफेदपोशों नेता जन उनके आहुति को कर रहे बेकार ll
जब इनके बच्चे भी सीमा पर होंगे तैयार ।
तभी इसे इनका आहुति मानेगा याह सकल समाज ll
आहुति दे रहा वह गरीब किसान जिनके न बैलों में जान।
तन नंगा और पेट भी नंगा फिर भी समर्पित है जी जान ll
आहुति उन शिक्षक का जो कर रहे विद्या का दान ।
जिनके नेक विचारों से अपना भारत बन रहा महान ll
आहुति दे रहा वह विद्यार्थी जो झेल रहा आरक्षण की मार ।फिर भी हिम्मत कर अडिग खड़ा हुआ वह हिम्मत वाज ll
आहुति हम सवर्ण का जिसने तैयार किया समाज ।
आज वही उपेक्षित होकर फँसा हुआ बीच मझधार ll
मौज काट रहा वह चाटुकार जिनके बाप दादाओं ने किया किसी का अरदास ।
उनके बेटे धन्ना बनकर अपने को समझते सरकार ll
पूर्णाहुति तब होगी जब जन जन जागरूक हो जाएगा ।भारत माता का हर लाल हीरा मोती कहलाएगा ll
एक स्वर में जब जब भारत माता का होगा जयघोष ।अपना प्यारा तिरंगा लहराएगा चहुओर ll
पूर्णाहुति तब होगी जब भेदभाव मिट जाएगा
भारत का हर किसान सुदृढ़ और सशक्त हो जाएगा ।।
पूर्णाहुति तब होगी जब सीमा पार से आतंकी गतिविधि खत्म हो जाएगा।
या फिर आतंकवाद के आका का जड़ से सफाया हो जाएगा ll
पूर्णाहुति तब होगी जब मानव में मानवता आ जाएगा।
वसुधैव कुटुंबकम का नारा भारत नहीं पूरे विश्व में गाया जाएगा lll
श्री कमलेश झा
नगरपारा भागलपुर
बिहार