पिता

आराधना प्रियदर्शनी 

जिसने हमको संसार दिया,

आनंद ख़ुशी और प्यार दिया,

ना तुल्य है सोने चांदी से,

प्रेम जो अपरम्पार दिया l


 कोई नहीं उनके समान,

 देंगे उनको शोहरत सम्मान,

 भू पर देव का रूप है,

  हाँ हाँ हैं वह मेरे भगवान् l


कोई पूजा नहीं उनकी सेवा से बढ़कर,

हर सुख दिया हमें खुद कष्ट सहकर,

हर तरह से हमें परिपूर्ण किया है,

और कहूं मैं क्या इतना कहकर l


कभी कमी नहीं की प्यार में,

 स्वर्ग मिला संसार में,

अगर ईश्वर का वरदान न मिलता,

हम रह जाते मझधार में l


हम जीवन में सफल न होते,

न देख सलोने स्वप्न में खोते,

रहता ये संसार अधूरा सा,

कभी ना होता स्वप्न भी पूरा।


 राहों में हम भटके होते,

अगर हमारे पिता ना होते।


●आराधना प्रियदर्शनी 

        बेंगलुरु           


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