मेरे शहर में

 राकेश चंद्रा 

मेरे शहर में

मैं तुम और वह तो है

पर हम नही हैं]


क्योंकि हम बनता है

मोहब्बत के हाड़-मास में

इंसानियत के ताजा, स्वस्थ खून से.

 

मेरे शहर में]

खून का अंतर बताने के लिए

शेड कार्ड बिकने लगे है]

और दीवारों पर

ताजा] स्वस्थ खून पाने के लिये

ईनामी इश्तिहार दिखने लगे हैं.

 

मेरे शहर में

बंट चुका है सारा आकाश

रंग-बिरंगे परचमों में

और बंट चुकी है इंच इंच जमीन.

मेरे] तुम्हारे और उसके नामों में.

जो न बंट सका

रह गया जो शेष बार- बार

वह था-सिर्फ

मुट्ठी भर प्यार

मेरे शहर में

मैं] तुम और वह तो हैं

पर हम नहीं हैं. 

  राकेश चंद्रा 

                                                                                       610/60, केशव नगर कालोनी

सीतापुर रोड, लखनऊ 

उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 9457353346

                                                                                                                   rakeshchandra.81@gmail.com

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