कवि अतुल पाठक "धैर्य" की रचनाएं


 अरमान

अनकहा अव्यक्त सा है,

अरमान मेरा स्वप्न सा है।


ख्याल तेरा महक सा है,

दिल है नादाँ बहकता है।


ज्यादा नहीं कम अरमान रखता है,

ख़ुशी हो या ग़म मुस्कान रखता है।


भावों की ज़मीन पर प्रेमपुष्प रोपता है,

ख़्वाबों की सतरंगी चादर ओढ़ता है।


रूह से मिलने की खातिर दिल मेरा ये पिघलता है,

मन अन्तस के स्पर्शों को चाहें जब टटोलता है।


प्रेमनदियों में डूबता है,

स्मृतियों में घूमता है।


दिल डिंग डाँग डिंग डाँग करता है,

अरमान मेरा परवान चढ़ा करता है।


जीने की चाहत

कुछ पल खुद के लिए भी,

मोहलत दिया करो।


ज़िन्दगी इक बार मिलती है,

इसे हँसते मुस्कुराते जिया करो।


ख़्वाहिशें रुकती ठहरती हैं कहाँ,

चंद पल राहत के जीने की चाहत रखा करो।


गुज़रे हुए लम्हे लौटकर नहीं आते,

इसलिए ज़िन्दगी को ज़िंदादिली से जिया करो।


दो पल का नाम ज़िन्दगी है,

जिसमें प्यार के दो बोल मीठे गुनगुनाया करो।


मुश्किल घड़ी में हताश न होना,

जीवन में आशा के रंग भर जाया करो।

@अतुल पाठक "धैर्य"

जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)

मौलिक/स्वरचित

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