है माँ

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

अक्षों की प्रथम पहचान है माँ

मोहिनी मधुर मुस्कान है माँ


मृदु लोरी की आवाज है माँ

सुखद अंक का लिवाज है माँ


ममता की पवित्र मूर्ति है माँ

ईश्वर की प्रतिमूर्ति है माँ


स्नेह का पूर्ण स्पर्श है माँ

धरा अम्बर अग्नि जल है माँ


झरनों का निर्मल स्वर है माँ

सहस्त्र ढाल प्रखर है माँ


आरम्भ और विश्वास है माँ

अधरों की पूर्ण मुस्कान है माँ


हम शब्द वह भाषा है माँ

हम छंद वह कविता है माँ


दुलार का अम्बार है माँ

खुशियों का संसार है माँ


¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥


कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

उत्तरप्रदेश

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