जीवन से पहले मृत्यु के बाद
न था किसी का साथ
गर्भावस्था में विचर रहा था,
बंद गलियारे में भटक रहा था ।
परमपिता को याद कर,
दिल से मै पुकार रहा था ।
वादा कर रहा था ,
बाहर निकल ,
ना भूलूंगा तुझको प्रभु,
बाहर आया
धीरे-धीरे दुनिया में रमता गया।
कौल करा जो गर्भकाल में,
बाहर आ बिसराया था ।
लग गया जीवन को जीने में ,
हर पल हर क्षण करता रहा ,
कुछ कहता रहा, कुछ सुनता रहा।
मनमानी में करता रहा।
सोचता मैं कुछ था,
होता कुछ और था।
समझ से मेरी बाहर था ,
कर्मों का मायाजाल था ।
आया बुढ़ापा क्षीण हो गई, काया,
जर्जर हो रहा शरीर
चल दिया परमात्मा से मिलने को
नहीं पता जीवन से पहले क्या था।
मरने के बाद क्या होगा ,
चिरकाल से यह सफर चलता रहा
चलता रहेगा
आत्मा अजर अमर अविनाशी
देह की अपनी गति न्यारी।
दिल की कलम से
मधु अरोड़ा
4.2.2021