नर्स का जीवन माँ जैसा

 

सुषमा दीक्षित शुक्ला

जी बिल्कुल नर्स की भूमिका एक मरीज के लिए माँ जैसी ही होती है।एक नर्स अपने मरीज से माँ जैसा ही प्रेम करती है ।

मरीज के जीवन में नर्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहती है। जब मरीज अस्पताल में अपनी बीमारी के इलाज के लिए जाता है तब डॉक्टर द्वारा इलाज होता है परंतु इसमें नर्स का काफी योगदान रहता है । जिस तरह से एक मां अपने बच्चे से प्रेम करती है व केयर करती है उसी तरह से एक नर्स भी अपने मरीज से प्रेम करती है और केयर करती है ।

रोगी की सेवा को परिचर्या या नर्सिंग कहते हैं ।

अंग्रेजी के शब्द नर्सिंग का अर्थ पोषण होता है।

 एक अच्छी नर्स वही है जो मां जैसी देखभाल बीमारी में करती है।

 परिचर्या शब्द से क्रियाशीलता झलकती है ।यह उपकार का काम है यह उपकार का काम ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो अपने लिए खुद नहीं कर सकता । नर्सिंग को सम्मानजनक पेशा बनाने का श्रेय फ्लोरेंस नाइटिंगेल को जाता है ।

जब मरीज के पास अपने जीवन के कुछ पल ही बचे होते हैं तब नर्स एक मां बनकर मरीज की देखभाल करती है ।

इलाज जरूर डॉक्टर के द्वारा किया जाता है ,लेकिन सही समय पर मरीज को दवा व इंजेक्सन आदि तो नर्स ही देती है ।

वह दया की भावना रखती है एक नर्स का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है क्योंकि वह हर हालात के हिसाब से खुद को ढालती है ,क्योंकि मरीज की देखभाल करना कोई आसान काम नहीं है ।

मरीज की देखभाल के लिए समय पर अपने में बदलाव लाना पड़ता है ।

नर्स कभी-कभी मरीज की देखभाल करने के कठोर बन जाती है तो कभी खुशनुमा बनना पड़ता है ।

दया की भावना रोगी और मनुष्य के संबंध को दर्शाती है ।


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