कफन
चुप रहकर सब सहकर जीना सीख लिया मैने,
ख्वाहिश तो बहुत थी खुशियाँ पाने की ,ना मिली खुशियाँ, तो गम को गले लगाना सीख लिया मैने,
चाहा तो बहुत मिल जाए साथ किसी का उम्र भर के लिए,
ना मिला वो भी तो परछाई के साथ जीना सीख लिया मैने साथ लेकर तो चले बहुत रिश्ते, पर चलना है इस भीड़ मे अकेले, ये सबक सीख लिया मैने,
अकेले आए थे, अकेले हैं और अकेले जाना है, ये सोच कर कफ़न ओढ़ लिया मैने ।
दर्द
भर जाता है हर वो जख्म जो दुनिया देती है ,
अपनो का दिया दर्द ही नासूर बन जाता है।
क्या ज़िक्र करू उन लोगो का,
ज़िन्होने मरहम मे भी नमक मिलाया था।
डर लगता है अब तो अपनो के नाम से भी ,
अच्छे तो वो थे ज़िन्होने गैर होकर भी गले लगाया था ।
अकेले ही चलना पड़ता है दुनिया की भीड मे,
भरोसा जिस पर करके चले थे उसने तो अपना दामन पहले ही छुडाया था!
शब्द
शब्दो की महिमा निराली,
शब्द कर दे छलनी शरीर, शब्द भर दे अमृत की प्याली!
तोल तोल कर बोल ले मानुष,शब्द करे भीषण कष्ट अपार
मीठे शब्दो से बन्दे, हो जाएगा भव से पार!
कटु शब्दो से सगा हो जाए पराया, मीठे शब्दो से दुश्मन भी बन जाए प्यारा!
कटु शब्दो ने ही महाभारत रच डाला ,अंधे का पुत्र अंधा कह द्रोपदी ने छोडा कटु भाला!
इसलिए कहती हूं बन्दे शब्दो की महिमा अपरम्पार!
श्वेता अरोडा