ग़ज़ल

 



वफा का गीत गाया जा रहा है।

मुझे दिल से हटाया जा रहा है।


तड़प देखो शमा की बेबसी भी,

उसे फिर से जलाया जा रहा है।


नसीबा में जिसे जलना लिखा था,

उसे क्यूँ कर सताया जा रहा है।


हुए कुरबां पतंगे प्यार में जिनके,

वही कर्ज़ा चुकाया जा रहा है। 


बना साया कभी हमदम हमारा,

कहाँ वो भूल पाया जा रहा है।


सुलगते दिल का मेरे हाल छोड़ो,

तुम्हें नग्मा सुनाया जा रहा है।

सुषमा दीक्षित शुक्ला

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