वीरेंद्र सागर
एक सदियों पुरानी मोहब्बत की कहानी है,
फूलों सा जिस्म है और सोलो सी जवानी है ||
भंवरों को पता चला है कि बाग में,
खिली एक कली सयानी है ||
अपने हुनर को भीड़ में आजमा रहे हैं सभी,
इनके साथ किस्मत हमें भी आजमानी हैं ||
नजरों के तीर चला रही है वो मुझ पर,
मोहब्बत के तीर चलाने की हमने भी ठानी है ||
कोशिश तो कई कर चुके हैं लेकिन,
ये कलि भी अब इस भवरे की दीवानी है ||
उन्हें फूल बनाने में चुभ गए कई कांटे हमें,
ये चोट भी उनकी मोहब्बत की निशानी है ||
-वीरेंद्र सागर
-शिवपुरी मध्य प्रदेश