तू कर्म कर

कमल राठौर साहिल 

यह धरा बन गई रणभूमि

प्रतिदिन घटता युद्ध यहां 

कभी धर्म युद्ध 

कभी कर्म युद्ध 

कभी शर्म युद्ध

इस युद्ध में शंख की हुंकार कर। 


तू बन अर्जुन इस रण में

गांडीव उठा प्रहार कर।


हाथ की लकीरों को भूल जा

कर्मों का तू श्रृंगार कर

यह रण है कर्मों का लेखा जोखा

कर्म युद्ध के रण में 

 तू कर्म कर , तू कर्म कर


धर्म पर जब बात आए

तू अभिमन्यु सा शोर्य दिखा

चक्रव्यू है ये अपनों का

कलयुग में तू तोड़ दिखा


डूब मर , शर्म युद्ध ना कर

अपने आपको तू ना लज्जित कर

यह रणभूमि है वीरों की

तू कर्म कर , तू कर्म कर, 


कमल राठौर साहिल 

श्योपुर मध्य प्रदेश

9685907895

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