शास्त्री सुरेन्द्र दुबे
अचल कीटाणु है,
भयंकर विषाणु है,
विष के समंदर का,
अतिसूक्ष्म जीवाणु है।।
नाशा पथ गामी है,
कंण्ठाल्पविरामी है,
हृदयगति रोधक है,
श्वसनवायु सोसक है।।
अचंभित विज्ञान है,
खोजता निदान है,
हृदय में सिहरन है,
मौत का स्वयंवर है।।
सनकी की सनक है,
विज्ञान की ठनक है,
अदृश्य ब्युह सृजन है,
मृत्यु का प्रजनक है ।।
विभत्स विज्ञान है,
आश्वस्त शैतान हैं,
विज्ञान के विमान पे,
शैतान विराजमान हैं।।
काव्यमाला कसक
शास्त्री सुरेन्द्र दुबे
(अनुज जौनपुरी)