कवि कमलाकर त्रिपाठी की रचनाएं


समय

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समय अनमोल है जीवनमें,

यों-ही व्यर्थ न जाने दें,

उपयोग - उपभोग करें सदा,

इसे धन्य - कृतार्थ होने दें, 

इसे धन्य - कृतार्थ होने दें, 

पुनः लौटकर न आता समय, 

कहते 'कमलाकर' हैं यथार्थ, 

अति बलवान होता है समय।। 

    

प्रणब

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हिय में रखकर प्रणव शब्द,

नित्यप्रति करें ध्यान,

सुख-शांति मिलेगी निश्चित,

स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,

स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,

जीवन जीवट रहैगा सक्रिय,

कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,

भरपूरआनंदित रहेगा हिय।।

   

 सहजता

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सरल - सहज जीवनशैली, 

सदा सरस - सुखप्रद होती है,

औ खिन्नता न रखती कभी,

आजीवन हितकर होती है,

आजीवन हितकर होती है, 

जीवन, दिनचर्या रखें सरल, 

कहते 'कमलाकर' हैं सहजता, 

जीवन बनाती सहज-सरल।।

      

 प्रकृति 

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प्रकृति हमारी है जीवन साथी,

इसके अंक में हम सब पलते,

संग निभाती जीवंत जीवन,

दुःख-सुख सब संग-संग सहते,

दुःख-सुख सब संग-संग सहते,

है प्राणाधार हमारी प्रकृति,

कहते 'कमलाकर' हैं सचही,

सृष्टि का आधार है प्रकृति।।

        

क्रोध 

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क्रोध - मद वैरी हैं अपने,

ये सुख-शांति से न रहने देते,

हैंअसंतुलित रखतेआजीवन,

औ सुखकी नींद न सोने देते,

सुखकी नींद न सोने देते,

है पाप-ताप की मूल क्रोध,

कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,

दूर रखिए अपने से क्रोध।।

    

कवि कमलाकर त्रिपाठी.

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